
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में क्रीमीलेयर की पहचान कर उसे आरक्षण लाभ से बाहर रखने की जरूरत बताई थी।
सात जजों की बेंच ने SC/ST वर्ग के उप-वर्गीकरण की अनुमति देते हुए 2004 के EV चिन्नैया मामले के फैसले को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने राज्यों को नीति बनाने का निर्देश दिया लेकिन फैसले का कार्यान्वयन विधायिका और कार्यपालिका पर छोड़ दिया। हालांकि इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया
क्रीमीलेयर पर पीठ ने फैसले में क्या कहा था?
संविधान पीठ ने बहुमत के फैसले में कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, जो सामाजिक रूप से विषम वर्ग है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण प्रदान किया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।
जस्टिस गवई भी संविधान पीठ का हिस्सा थे और उन्होंने एक अलग निर्णय लिखा था। उन्होंने कहा था कि राज्यों को एससी और अनुसूचित जनजातियों (SC/ST) के भीतर भी क्रीमीलेयर की पहचान करने की नीति बनाई जानी चाहिए। उनमें जो लोग सक्षम हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं देना चाहिए।